भाग III - आमीन

"मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर अब हम में से एक के समान हो गया है। उसे हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़कर खाने और सर्वदा जीवित रहने की आज्ञा न दी जाए।" -उत्पत्ति 3:21-23

मैं हूँ,

मैं शुद्ध प्रेक्षक हूँ,

मैं शाश्वत उपस्थिति में जागरूकता हूँ,

मैं अब शाश्वत में चेतना हूँ,

मैं परमेश्वर का एक बच्चा हूँ,

मैं अपने विचार नहीं हूँ,

मैं अपनी भावना नहीं हूँ,

मैं अपनी इच्छा नहीं हूँ,

मैं अपना शरीर नहीं हूं जो मैं अपने सामने देखता हूं,

मैं इस कमरे में नहीं हूँ,

मैं इस शहर में नहीं हूँ,

मैं इस देश में नहीं हूँ,

मैं वो नहीं हूँ जिससे मैं वाकिफ हूँ,

मैं अब शाश्वत में चेतना हूँ,

मैं शाश्वत उपस्थिति में जागरूकता हूँ,

मैं शुद्ध प्रेक्षक हूँ,

मैं परमेश्वर का एक बच्चा हूँ।