न्यू फ्रेंन्ड

वही साल - वही शहर

वक्त के इतिहास में एक सप्ताह और जुड़ गया। श्रीति और अरविंदर ने बातचीत की कोई पहल नहीं की। अरविंदर को महसूस हो गया था कि अब कुछ करने का कोई फ़ायदा नहीं है। अब श्रीति को अपना काम सही तरह से करने में दिक़्क़त होने लगी। एक दिन एक छोटी ग़लती के कारण अरविंदर ने उसे पहली बार सरे ऑफिस डाँट दिया। श्रीति को लग गया कि अब उसका इस कम्पनी में ज़्यादा दिन दाना-पानी नहीं लिखा है।

उसी महीने अरविंदर का प्रमोशन हो गया। अब उसे जोधपुर का एरिया मैनेजर पद सँभालना था। अजमेर में उसकी जगह रिलेशनशिप मैनेजर प्रकृति रस्तोगी को ब्रांच की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी। इस ख़बर ने श्रीति को राहत की कुछ साँसें दी। भावनात्मक संघर्षों में जूझते डूबते आदमी को हलके तिनके का ऩजारा भी राहत के पल देता है। पर ज़िन्दगी कोई फ़िल्म नहीं है कि क्लाइमेक्स हो जाए और सब ठीक हो जाए। जाते-जाते अरविंदर ने श्रीति की परफोर्मेंस अप्रेजल रेटिंग काफी कम दी थी जिसके कारण वित्त-वर्ष के अन्त में न श्रीति का प्रमोशन हुआ और न ही ज़्यादा सैलरी बढ़ी। अब यह कम्पनी बोझा लगने लगी। ऐसी कम्पनी में काम करने का क्या फ़ायदा जहाँ व्यक्तिगत रिश्ते काम से ज्यादा महत्व रखें। श्रीति ने निर्णय लिया कि अब उसे जल्द ही इस कम्पनी को अलविदा करना पड़ेगा।

श्रीति ने महत्व गुप्ता को कॉल करके कोई नौकरी दिलवाने की ग़ुजारिश की। महत्व ने कोटा में अन्य कम्पनी ज्वाइन कर ली थी। नौकरी के दौरान श्रीति महत्व के सम्पर्क में रहती थी। वह भूली नहीं कि ज़रूरत के वक्त महत्व ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया था।

महत्व ने अपने दोस्त राग भाटिया से बात की जो कि आईसीआईसीआई बैंक, जयपुर के लोन डिवीजन में ब्रांच मैनेजर था। राग ने महत्व से कहा,

‘‘मगु भाई उसे बोल फटाफट अपना रिज्यूम भेजे, अजमेर में एक ओपनिंग है बैंक में।’’

महत्व ने श्रीति को राग का नम्बर दिया और राग के बारे में भी बताया।

‘‘आईसीआईसीआई में राग भाटिया से तुम्हारे लिए बात की है, उसे जल्द रिज्यूम भेजो; राग एक मस्त-मौला मैनेजर है, वह आईसीआईसीआई बैंक जयपुर में ब्राँच मैनेजर है, बड़ा हार्डवर्किंग और हेल्पिंग नेचर वाला है। थोड़ा बड़बोला है पर उसकी बैंक में चलती बहुत है आई एम श्योर वह तुम्हारी मदद करेगा।’’

उसी दिन महत्व के सुझाव पर श्रीति ने राग को कॉल किया।

‘‘हैलो राग फ्रोम आईसीआईसीआई बैंक, हाउ कैन आई हेल्प यू?’’ राग ने प्रो़फेशनल तरी़के से कॉल का जवाब दिया।

‘‘हैलो सर, श्रीति हेयर फ्रोम सिटी फाइनेन्शियल अजमेर।’’

‘‘श्रीति... अरे हाँ, मगु ने बताया था आपके बारे में, कैसी हैं आप?’’ राग की आवा़ज से ऐसा लगा कि वह उसी के कॉल के इंत़जार में था।

‘‘मगु?’’ श्रीति की आवाज में आश्चर्य- मिश्रित सवाल था।

‘‘ओहो! महत्व गुप्ता को हम मगु बुलाते है शोर्ट में, उसने बताया तुम्हारे बारे में। जल्दी से अपना रिज्यूम raagbhatia@icicibank.com पर भेज दो। मैं कोशिश करूँगा कि तुम्हारा इण्टरव्यू इसी हफ्ते में हो जाए। कल ही हमारे रीजनल मैनेजर ने अजमेर के लिए सेल्स मैनेजर की पोजिशन के लिए एक अच्छा कैंडीडेट ढूँढ़ने को कहा था। मेरे ख़याल से तुम्हें अजमेर में लोन के बिजनेस का अनुभव भी है इसलिए तुम इस जॉब में फिट हो सकती हो, मेरे बॉस वैसे भी लड़कियों को ज़्यादा मौके देते हैं, तुम्हारे आईसीआईसीआई बैंक में सेलेक्शन के चांसेज अच्छे हैं।’’ राग ने एक साँस में कहा।

श्रीति चकित थी कि राग इतना दोस्ताना क्यों दिखा रहा है। हालाँकि महत्व ने बताया था कि राग हेल्पफुल और बड़बोला है और उसे जॉब किसी भी हालत में चाहिए थी इसलिए उसने राग से दोस्ताना व्यवहार कर लेना ही उचित समझा।

‘‘थैंक्यू सर, मैं रिज्यूम भेज रही हूँ और इण्टरव्यू के लिए भी रेडी हूँ सैलरी और जॉब प्रोफाइल क्या रहेगी सर?''

‘‘डोंट वरी तुम पछताओगी नहीं, पहले इण्टरव्यू तो दो ये सब बातें बाद की हैं। इण्टरव्यू के बाद ऑ़फर तो लीजिए फिर ऑ़फर स्वीकारना या न करना तुम्हारे हाथ में ही होगा मैडम। अच्छा अभी मैं थोड़ा बिजी हूँ तुम अपना रिज्यूम भेजो फटाफट से भी पहले।’’

श्रीति ने तुरंत अपना रिज्यूमे भेज दिया। बीस मिनट के अन्दर उसे राग की कॉल आ गयी।

‘‘मिस शर्मा मैंने तुम्हारा रिज्यूम अपने पॉजीटिव रेफरेंस के साथ बॉस को भेज दिया है और हाथो-हाथ तुम्हारे रिश्ते की बात भी कर ली है।’’

‘‘मैं समझी नहीं सर!’’ श्रीति ने चौंकते हुए पूछा।

‘‘अरे मेरा मतलब कम्पनी में रिलेशनशिप मैनेजर की जॉब के लिए। मेरे पीजे सुनने की आदत डाल लेना।’’

‘‘पीजे?’’ श्रीति ने सवाली आवाज में कहा।

‘‘ग़रीब चुटकुले पूअर जोक्स... सुनकर ख़ून बढ़ाना, काम आएगा।’’ यह कहकर राग खिलखिलाकर हँस पड़ा। श्रीति को बेमन से हँसने की आवा़ज निकालनी पड़ी।

‘‘आपका सेन्स ऑफ ह्यूमर ग़जब का है सर! कमाल तो यह है कि आपने इतनी जल्दी बॉस से बात भी कर ली।’’ श्रीति ने लोक-व्यवहार के नियमों का पालन करते हुए बातचीत जारी रखी।

‘‘जो काम अभी हो सकता है उसे उसी वक्त करना चाहिए, तुमने नाइकी का नारा सुना ही होगा जस्ट डू इट। काम में टालमटोल करने से कई बार काम लम्बे समय के लिए टल ही जाता है।’’ राग ने ऐसे कहा जैसे कोई सीनियर मैनेजर अपने जूनियर को सफलता के नियमों का ज्ञान दे रहा हो।

‘‘ग्रेट थॉट सर, आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।’’

‘‘माई प्लीजर... एनीवे बॉस को तुम्हारी प्रोफाइल पसन्द आयी है, तुम्हारा इण्टरव्यू दो दिन बाद दिल्ली में है, क्या तुम परसों दिल्ली जा सकती हो?’’

‘‘सर मैं आपको शाम तक बता दूँगी।’’

‘‘क्या आप मेरा एक काम करेंगी श्रीति जी?''

‘‘ज़रूर सर।’’

‘‘मुझे सर मत बुलाओ प्लीज। आई एम राग भाटिया मुझे राग कहो या शार्ट में आरबी कुछ भी जो तुम्हें अच्छा लगे; सर सुनकर लगता है कि मैं रिटायरमेंट की दहली़ज पर खड़ा कोई बुड्ढा हूँ। अभी तेरह साल पहले तो तेरह साल का हुआ था। मुझे फ्रेंण्ड समझो, सीनियर या सर नहीं और रिलेक्स रहो तुम्हारी नौकरी पक्की समझो।’’ राग की आवा़ज में दोस्ताना था।

श्रीति को राग की आवा़ज में अलग ही उत्साह और सकारात्मकता ऩजर आयी। श्रीति को यह भी लगा कि कहीं राग फ्लर्ट करने की कोशिश तो नहीं कर रहा है क्योंकि आज तक नर जात ऐसी ही मिली थी उसे पर अभी श्रीति को उसकी बात मानने में ही भलाई लगी। वक्त का त़का़जा अच्छे-अच्छे विचारों को तोड़-मरोड़ देता है।

‘‘ओके राग जी थैंक्स फोर योर हेल्प।’’

‘‘शाम को छह बजे से पहले दिल्ली का प्लान बता देना... कोई और सवाल मिस शर्मा?''

‘‘राग जी प्लीज आप भी मुझे श्रीति कहें।’’

‘‘ओके श्रीति तुम जिस नाम से कहोगी उसी नाम से बुला लेंगे, कोई निकनेम हो तो उससे भी बुला लेंगे; अपनी जबान का क्या है, ऐसे नहीं तो वैसे मोड़ के आवाज निकाल लेंगे और तुम भी मेरे नाम के आगे जी न लगाकर नैनो एनर्जी और टाइम की बचत करो।’’

श्रीति यह तो समझ चुकी थी कि वह कुछ ज़्यादा ही दोस्ताना हो रहा है। अभी तक के अनुभवों से श्रीति समझ चुकी थी कि सारे आदम़जात एक ही थाली के चट्टे-बट्टे होते हैं, उनकी ऩजर में लड़की सिर्फ़ उनकी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी करने के लिए ही बनी है। अपनी सोच पर विराम लगाते हुए श्रीति बड़े मीठे अंदा़ज में राग से बोली और कॉल ख़त्म किया,

‘‘श्रीति ही ठीक है; राग मैं आपको जल्दी ही कॉल करके बताती हूँ बाय।’’

उसी दिन श्रीति ने ऑफ़िस से दो दिन की छुट्टी माँगी और मिल गयी। मम्मी के साथ इण्टरव्यू के लिए दिल्ली जाने का फैसला कर लिया। महत्व ने श्रीति को बताया था कि राग के सम्पर्क में बैंकिंग के काफी सीनियर लोग हैं इसलिए श्रीति ने राग के फ्लर्ट व्यवहार के बाद भी उससे सकारात्मक सम्बन्ध रखने का सोच लिया। अब तक वह जान चुकी थी कि कॉरपोरेट वल्र्ड में फ्लर्टिंग आम बात है। अगर इससे तकली़फ होने लगी तो कैरियर की तरक्की में मुश्किल होगी। सारी तैयारी के बाद शाम को श्रीति ने राग को कॉल किया,

‘‘हैलो राग, मैं परसो सुबह दिल्ली पहुँच सकती हूँ।’’

‘‘मुझे अंदा़जा था इसलिए आलरेडी रिजनल मैनेजर से तुम्हारा इण्टरव्यू फिक्स कर दिया है परसों।’’

‘‘आपको कैसे पता चला?’’

‘‘आई थिंक आई एम यूज्यली अनयूज्यल पर्सन, मेरा सिक्सथ सेन्स ब्लेड से भी तेज़ है मुझे लड़कियों की साइकोलोजी की भी अच्छी नॉलेज है, तुम्हारे अच्छे दिन आ गये है क्योंकि अब तुम एक महान आदमी के सम्पर्क में हो।’’ हँसते हुए राग ने कहा।

राग की बातें सुनकर श्रीति सोचने लगी कि ये आदमी है या मियाँ मिट्ठू का मामा। श्रीति ने सोचा कि उसे बताये कि उसे दूसरों को मौ़का देना चाहिए कि वे उसके गुण देख सकें। पर तभी लोक-व्यवहार पढ़े दिमा़ग ने सलाह दी कि अभी ऐसा कुछ भी नहीं बोलना चाहिए। डेल कार्नेगी अंकल के फार्मूलों को अपनाना वक्त की ऩजाकत है।

‘‘अरे वाह! मुझे आपके गुणों के बारे में जानकर अच्छा लगा, आप तो रियली जीनियस हो।’’

‘‘आई नो तुम मेरी टांग खींच रही हो, मैं जानता हूँ कि मेरी पर्सनेलिटी थोड़ी अलग और मेरी आदत बड़बोली है, पर मैं ऐसा ही हूँ, मुझे झूठा दिखावा करना नहीं आता। खैर छोड़ों मेरी बातें, अपने और अपने परिवार के बारे में बताओ।’’ राग ने पूछा।

यह बात सुनकर श्रीति फिर चौंक गयी कि आखिर क्यों वह इतना पर्सनल हो रहा है। राग को भी लग गया कि उसका प्रश्न श्रीति के मन में प्रश्न ला रहा है तो राग ने कहा,

‘‘अरे ओ वैली ऑफ फ्लावर की बटरफ्लाई! लगता है तुम सोच रही हो कि क्यों मैं पर्सनल सवाल पूछ रहा हूँ, वो इसलिए ताकि तुम्हारा सेलेक्शन करवा सकूँ। मगु ने बताया था कि तुम्हारा जॉब चेंज बहुत ज़रूरी है और मेरी कम्पनी में ख़ाली पोजीशन के लिए तुम सूटेबल केन्डीडेट हो। मुझ पर भी अजमेर के लिए अपान्इटमेन्ट का प्रेशर है इसलिए तुम्हारे सेलेक्शन में मुझे भी फ़ायदा है। मैं जानता हूँ इस इण्टरव्यू में क्या सवाल पूछे जा सकते हैं। तुम्हारे बारे में जानकर मैं तुमको बताऊँगा कि सबसे बेहतर जवाब क्या हो सकते है। मुझे थोड़ी बहुत ज्योतिष भी आती है, तुम्हारे रिज्यूम में तुम्हारी बर्थ डेट देखकर मैंने केलक्यूलेट कर किया कि तुम्हारी जॉब तो पक्की है।’’

‘‘थैंक्यू फोर हेल्पिंग राग, आप जो कर रहे है उसके लिए मेनी थैंक्स भी बौने शब्द हैं। मैं मिडल-क्लास फैमिली से हूँ, पापा को गु़जरे दो साल हो गये; मैं अपनी मम्मी, भाई और भाभी के साथ अजमेर में ही रहती हूँ। बीकॉम के साथ फैशन डिजाइनिंग डिप्लोमा किया हुआ है। पहली जॉब टेलिकॉम कम्पनी में थी। उसके बाद मै सिटी फाइनेशियल में आयी, अब कैरियर ग्रोथ के लिए बेहतर ऑप्शन की तलाश है... बस इतना ही है मेरे बारे में।’’ श्रीति ने संक्षेप में कहा।

‘‘मेरे बॉस का दिल बहुत बड़ा है, ख़ासतौर से फिमेल्स के लिए; अगर तुमको यह जॉब चाहिए तो तुमको उन्हे इम्प्रेस करना पड़ेगा़ इसके लिए तुमको एक लड़की होने का थोड़ा-सा फ़ायदा उठाना पड़ेगा।’’

‘‘क्या मतलब?''

‘‘हे दुनिया बनाने वाले ब्रह्माजी, ये लड़कियाँ डि़फाल्ट में ऐसी भोली होती हैं या नौंटंकी का कोर्स किये होती हैं।’’

‘‘सॉरी! मैं कुछ समझी नहीं राग।’’

‘‘अरे अजमेर की फाइनेंस वाली छोरी! मेरे कहने का मतबल है कि इण्टरव्यू में सादे सलवार सूट के बजाय टिपटॉप बिजनेस फॉर्मल कपड़े पहनकर जाना, बा़की बिन कहे ख़ुद समझ जाओ क्योंकि समझदार को इशारा... हालाँकि बॉस न कुछ ग़लत पूछेगा, न सोचेगा... वे काफी डिसेंट आदमी हैं, बस उनका मानना है कि फाइनेंस के धंधे में स्मार्ट लड़कियाँ बिजनेस में अच्छा परफोर्म करती हैं। अगर लोन ऑफ़िसर ख़ूबसूरत लड़की हो तो लोनवाला ग्राहक ज़्यादा ब्याज की ओर ध्यान नहीं देता और मुस्कराते सुन्दर चेहरे के सामने ग्राहक ज़्यादा सोच भी नहीं पाता। तुम तो जानती हो कि अपने पर्सनल लोन के ग्राहक अधिकतर मिडल और लोअर क्लास के होते हैं, उनको तो कभी-कभार ही ख़ूबसूरत देवियों के दर्शन मिलते हैं... अगर तुम ऐसा कर सकती हो तो फाइनेंस सेक्टर में झण्डे गाड़ सकती हो। बॉस सिटी फाइनेन्शियल में काम करने वालों को तुरंत रख लेते हैं क्योंकि उन्होंने ख़ुद भी शुरूआत वहीं से की थी; इसके अलावा वे भी ब्राह्मण हैं और अपनी जाति के लोगों को प्रे़फेरेन्स देते हैं; पता नहीं ये जातिवाद हमारे देश से कब जाएगा। एनीवे मुझे लगता है कि इन चीजों का ध्यान रखकर इण्टरव्यू दोगी तो जॉब तुमको मिल सकती है।’’ राग ने समझाने की कोशिश की।

‘‘सही कहा आपने, सिटी फाइनैंन्स में हम लोग ऐसे ही लोगों को लोन देते हैं। आपने जो बॉस के बारे में बताया वह ज़रूर मेरे काम आएगा, पता नहीं मैं इस मदद को कैसे चुका पाऊँगी।’’

‘‘अरे हम कौन-सा छोड़ देंगे मैडम! जॉब लग जाए तुम्हारी फिर बड़ी वाली पार्टी लूँगा, फिर रुद्राक्ष की माला से 108 बार मुस्कराकर धन्यवाद जाप कर लेना।’’

‘‘ज़रूर राग... अब मुझे सफर की तैयारी करनी चाहिए, मेरा और मम्मी का बैग बनाना बा़की है अभी।’’

‘‘मम्मी के साथ क्यों?’’ राग ने आश्चर्य करते हुआ पूछा।

‘‘आठ-नौ घण्टे का रात का सफर, दिल्ली अकेले जाना भी रिस्की है और मम्मी को दिल्ली में शॉपिंग करनी है; हम कल शाम को अजमेर से दिल्ली रवाना होंगे। अच्छा राग अब मैं ज्यादा बात नहीं कर सकूँगी मम्मी कब से बुला रही हैं, क्या हम कल बात करें?''

‘‘अरे नो प्रोब्लम मैडम मैं तो बात करने को हमेशा फ्री रहता हूँ, जब चाहो कॉल कर लेना अभी के लिए बाय बाय गुड नाइट।’’

‘‘गुडनाइट, बाय।’’ कहकर श्रीति ने मोबाइल के लाल बटन को दबाकर गु़फ्तगू का अन्त किया।

अब श्रीति का नजरिया राग के प्रति थोड़ा अच्छा हो गया। श्रीति ने कभी सोचा भी नहीं था कि कॉरपोरेट में नौकरियाँ ऐसे भी लगती हैं। वह सोचती थी कि मेहनत और लगन से सफलता मिलती है। उसे लगता था इण्टरव्यू में सादा और सिम्पल लगना चाहिए पर आज उसकी आँखें खुल गयीं। वह सोच रही थी कि राग बिना मिले और बिना ज़्यादा जान-पहचान के बिना लाग-लपेट के बातें करता है जिससे लगता है कि वह ईमानदार और विश्वास लायक है। आजकल हर कोई अपने चेहरे पर ऩकाब लगाए घूमता है और अपने मतलब से मतलब रखता है, पर राग की बातों से ऐसा नहीं लगता। मम्मी ने बताया था कि जो लोग बिना वजह ज़्यादा बोलते हैं वे दिल के सा़फ होते हैं। श्रीति को महसूस हो गया कि ऐसे लोगों से सम्पर्क से फ़ायदा ही रहेगा। अरविंदर के चक्कर में उसने किसी से भी दोस्ती नहीं रखी। एक-दो लोगों को छोड़कर न कोई उसका दोस्त है और न ही शुभंचिंतक और न ही कोई गाइड। राग अच्छा दोस्त हो सकता है और कैरियर में काफी मददगार भी।

मुम्बई से आने के बाद श्रीति ने सुलक्षणा से सम्पर्क करने की कोशिश की, पर सम्पर्क नहीं हो पाया। दोनों के पास कोई सम्पर्क-सूत्र नहीं था। पापा की मृत्यु से पहले श्रीति और समीक्षा अच्छी सहेलियाँ थांr पर वह आजकल अहमदाबाद में रहकर एम.बी.ए. कर रही थी। समीक्षा से वो एक-दो बार मिलीं पर उसे लगा वह उसे ऩजरअंदा़ज कर रही है।

तनहाई के कई महीने काटने के बाद श्रीति को लगा कि कोई दोस्त होना चाहिए जिसके साथ अपने मन की बात की जा सके। अरविंदर से ब्रेक-अप के बाद वह अकेली थी। अन्धे प्यार में वह सब कुछ भूल-सा गयी थी।

अब श्रीति चौबीस साल की हो गयी थी और शादी करने के लिए यह उपयुक्त समय था। उसने यह फैसला कर दिया कि अब लव अ़फेयर और लव मैरिज के बारे में सोचने में समय बर्बाद नहीं करेगी और अपनी मम्मी की ख़ुशी के लिए एक ब्राह्मण और नौकरीपेशा जीवनसाथी की तलाश करेगी।

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अगली सुबह श्रीति ने राग को गुडमॉर्निंग मैसेज भेजा। राग ने जवाब में दो मैसेज भेजे। श्रीति का मन हुआ कि राग से बात करे पर सोचा कि इससे अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा। पहले नौकरी तो मिल जाए बाकी बातें तो होती रहेंगी। उसने राग से मिली जानकारी के अनुसार इण्टरव्यू की तैयारी की।

शाम को श्रीति मम्मी के साथ बस में रवाना हुई और सुबह दिल्ली पहुँची। बसस्टैंड के पास गेस्टहाउस में तैयार होकर श्रीति और मम्मी बैंक के रीजनल ऑा़फिस गये और रीजनल मैनेजर दीनबन्धु द्विवेदी को इण्टरव्यू दिया। इण्टरव्यू उम्मीद से बेहतर रहा और वह रीजनल मैनेजर को प्रभावित करने में सफल रही। रीजनल मैनेजर ने वही सवाल पूछे जो राग ने बताये थे। उसके बाद ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर ने श्रीति का इण्टरव्यू लिया। इण्टरव्यू के दौरान बताया कि अगले कुछ दिन में उसको जवाब या ऑफर लेटर मिल जाएगा। श्रीति सोच रही थी काश प्यार में भी उसकी क़िस्मत नौकरी जैसी होती।

शाम को दिल्ली से रवाना होकर अगली सुबह वापस अजमेर आ गये। उसे पूरा य़कीन था कि उसे यह नौकरी मिल ही जाएगी। सुबह श्रीति ने राग को थैंक्यू मैसेज भेजा। जवाब में राग ने तीन मैसेज भेजे, गुडमॉर्निंग, मोटिवेशन और फ्रेंण्डशिप का। दिन में श्रीति ने राग को कॉल किया और इण्टरव्यू के बारे में बताया। राग ने बताया कि बॉस ने पॉजिटिव फीडबैक दिया है और जल्द ही उसे अपॉंइन्टमेंट लेटर मिल जाएगा। राग ने उसे आने वाली ज़िम्मेदारियों के लिए ख़ुद को तैयार करने को कहा।

‘‘मै हर चुनौती के लिए तैयार हूँ, आपसे भी काफी सीखने को मिलेगा, वैसे आपका जॉब प्रोफाइल क्या है?’’ श्रीति ने पूछा।

‘‘अभी मैं बैंक के स्माल टिकट पर्सनल लोन डिवीजन की जयपुर ब्रांच सँभाल रहा हूँ और राजस्थान के मुख्य शहरों में नयी ब्रांच सेटअप भी करवा रहा हूँ। बैंक ने यह डिवीजन कुछ टाइम पहले ही लांच किया है और इसकी ब्रांच को देश के हर जिले में खोलने का बैंक का टारगेट है। अभी राजस्थान में इस डिवीजन में कोई स्टेट मैनेजर नहीं है इसलिए राजस्थान में इस डिवीजन के बाकी सारे काम भी मैं देखता हूँ। तुमको ट्रेनिंग के लिए जयपुर आना होगा और मुझे भी तुम्हारी ब्रांच सेटअप के लिए अजमेर आना होगा, बा़की ची़जें तभी समझ में आएँगी तुमको।’’ राग ने बताया।

‘‘अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपके बारे में जान सकती हूँ?’’ श्रीति सचमुच राग के बारे में जानना चाहती थी।

‘‘शॉर्ट में बताता हूँ... छोटे शहर की मिडल-क्लास फेमिली में मेरा अवतरण हुआ, पापा सरकारी नौकर हैं। पढ़ाई के साथ मैंने पन्द्रह साल की उम्र में कैरियर शुरू कर दिया था। गारमेण्ट शोरूम में हेल्पर यानि कि चाइल्ड लेबर के रूप में कैरियर शुरू हुआ। आधा दिन पढ़ाई और आधा दिन कमाई करता था। कॉलेज में आते-आते मैने कई जगह नौकरी की और कई तरह के काम-धंधों का तजरबा हो गया। काम करते करते ग्रेजुएशन किया। छोटी उम्र में पता लग गया कि परमेश्वर से ज़्यादा पैसे में पावर है, पैसा है तो ज़िन्दगी में सुख है इसलिए जल्द अमीर बनने के आइडिया खोजने लगा और पाया कि दुनिया के टॉप अमीरों में नाइंटी सेवन पर्सेण्ट लोग बिजनेसमैन हैं इसलिए अमीर बनने के लिए कॉलेज के साथ छोटे-मोटे बिजनेस भी शुरू किये। ठीक-ठाक कमाता था पर संतोष कभी मेहरबान नहीं हुआ। रातों-रात अमीर बनने की हर स्कीम को आ़जमाने में अपना टाइम बरबाद भी किया... इसी दौरान कुछ एमबीए मैनेजरों से मिला और उनसे काफी इम्प्रेस हुआ। फिर सोचा कि अपन भी एमबीए करेंगे। मैंने एमबीए के लिए बड़े कॉलेज में ट्राई किया पर ग्रेजुएशन के मेरे माक्र्स कम थे और मेरी इंग्लिश पर तो मुझे भी हँसी आती थी इसलिए नये मैनेजमेंट कॉलेज में एडमिशन लिया। काफी संघर्षों और कुछ शॉर्टकट के बाद मुझ पर एमबीए का ठप्पा लगा। फिर मैंने एचडीएफसी बैंक ज्वाइन किया। अगले साल कोटक बैंक, फिर आईडीबीआई बैंक और फिर आईसीआईसीआई बैंक। आईसीआईसीआई बैंक में छह महीने नौकरी के बाद मुझे एक दोस्त ने बताया कि एक कन्या नौकरी की तलाश में है। उस लड़की को मैं अपनी चाइल्ड लेबर से मैनेजर बनने की छोटी-सी स्टोरी सुनाकर पका रहा हूँ।’’ राग गहरी साँस लेते हुए कहा।

‘‘सही कहा बहुत छोटी स्टोरी है, व्हाट अबाउट योर पर्सनल लाइफ?''

‘‘छोटी परिवार सुखी परिवार है जिसमें मम्मी, पापा, एक छोटा भाई, एकमात्र पत्नी और एक बेटी है; ढाई साल पहने शादी की सूली पर चढ़ा दिया था घर वालों ने। सॉरी, अगर मेरी शादी का जानकर तुम्हें झटका लगा हो तो..’’ कहकर राग मज़ाक़िया लहजे में हँसने लगा।

श्रीति ने कुछ नहीं कहा। राग को भी महसूस हो गया कि म़जा़क कुछ ज़्यादा ही हो गया।

‘‘सॉरी श्रीति मैं तो म़जा़क कर रहा था, बुरा मत मानना क्योंकि मै ऐसा ही हूँ बिन्दास बकचोद।’’

‘‘अरे नहीं राग मैंने ऐसा नहीं सोचा, मैं इसलिए चुप हो गयी क्योंकि मेरे पास से कोई ग़ुजर रहा था; दरअसल मैं अभी ऑफिस में थी थोड़ा समय मिला तो सोचा आपको थैंक्यू कह दूँ, लगता है अब मुझे काम पर लौटना चाहिए बॉय, जल्द बात करेंगे।’’

‘‘मुझे लग रहा है कि तुमको अच्छा नहीं लगा, एनीवे तुम काम पर लगो मैं शाम को तुमसे बातों पर लगूँगा, अभी के लिए बाय लागू।’’

श्रीति ने बाय कह कॉल का अंत कर दिया। वह राग के बारे में अपनी भावनाओं को जानने और महसूस करने की कोशिश करने लगी। कहीं न कहीं श्रीति सा़फ दिल के राग को और उसके ईमानदार बड़बोलेपन को पसंद करने लगी थी। शायद वह अपने अकेलेपन के कारण ऐसा महसूस कर रही थी। उसे महसूस हुआ कि उसे प्यार के बजाय एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत है। उसका कोई दोस्त नहीं है और राग अच्छा दोस्त हो सकता है। राग ने बिना जान-पहचान के उसकी तब मदद की, जब उसे ज़रूरत थी। महत्व ने भी बताया था कि राग अच्छा बन्दा है। श्रीति का मन कह रहा था कि राग उसके जीवन में एक ख़ास रोल निभाने वाला है और राग की दोस्ती खोने से उसका ही नु़कसान होगा। उसने प्यार में कई धोखे खाये हैं और सब़क पाये हैं। उसको एक दोस्त चाहिए जिसके साथ वह अपनी भावनाओं को बाँट सके।