मिशन मिस्टर राइट - 2

साल 2006 - अजमेर - दिल्ली

इसी तरह मंज़िल की तलाश में चार महीनों के पड़ाव और बीत गये मगर मंज़िल अभी भी दूर थी। स़फर में श्रीति चल तो रही थी पर मंज़िल का कोई ऩजारा दूर तक ऩजर नहीं आ रहा था।

इन बीते चार महीनों में नयी बॉस समीक्षा वर्मा ने राजस्थान के सारे सेल्स और ब्रांच मैनेजरों का जीना मुश्किल कर दिया था। समीक्षा के काम करवाने का तरी़का बेहद दबावपूर्ण था। समीक्षा का मानना था कि बिजनेस के लक्ष्य पाने में सबसे सफल तरी़का अत्यधिक दबाव वाला प्रबंध होता है। समीक्षा का एक ही उद्देश्य था कि किसी भी तरह बिजनेस उसके पहले के बिजनेस से ज़्यादा दिखना चाहिए। उसका एक ही फ़लस़फा था कि तेज़ और ज़्यादा चाबुक मारने से ही घोड़े जीतते हैं। वह सारे ब्रांच और सेल्स मैनेजरों से रिपोर्टिंग लेने के लिए दिन में कम से कम चार बार कॉल करती थी। सभी सेल्स मैनेजरों को पहले लगा कि समीक्षा अभी नयी है और एक-दो माह बाद उसके काम करने का तरी़का सही हो जाएगा, पर ऐसा नहीं हुआ। अधिक दबाव से हालात और बिगड़ गये थे। सारे मैनेजर हद से अधिक अनावश्यक दबाव से परेशान हो गये। सभी मैनेजर अपने सर्वाेतम प्रयास के बाद भी माह दर माह बिजनेस में वृद्धि नहीं ला पा रहे थे, इससे सभी सेल्स और ब्रांच मैनेजर कम्पनी और काम के प्रति निरुत्साहित होते जा रहे थे।

साल 2000 के पहले दशक के मध्य वर्षों में भारतीय बैंकिंग सेक्टर बहुत ते़जी से बढ़ रहा था। उस समय कई भारतीय, अंतरराष्ट्रीय बैंक तथा कई ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ भी नयी लोन सेवाएँ शुरू कर रही थीं। उसी समय राग को एक बड़ी बहुराष्ट्रीय बैंकिंग कम्पनी से बड़े पद और वेतन में पचास प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ नौकरी का प्रस्ताव आया पर राग ने ऑ़फर अस्वीकार कर दिया। उसे उम्मीद थी कि अगले अप्रैल में उसका प्रमोशन हो जाएगा। अभी भी उसका प्रदर्शन राजस्थान में सबसे बेहतर था और वह उस विभाग में सबसे सीनियर भी था।

श्रीति को भी अन्य शहरों के लिए बेहतर वेतन के साथ नौकरी के नये प्रस्ताव आये पर उसने भी मना कर दिया क्योंकि उसे अजमेर में फ़ेमिली संग ही रहना था। अजमेर में अपना घर था और मम्मी का स्वास्थ्य भी नर्म था। सिर्फ़ थोड़े अधिक पैसे और पद के लिए अपने घर-परिवार से दूर जाना श्रीति की सोच से सही न था। नये शहर में नयी कम्पनी में शुरूआत करने से बेहतर था अपने घर में रहना और मिशन मिस्टर राइट के लिए आगे क़दम बढ़ाना। अपने घर में परिवार सँग रहना जीवन के सबसे बड़े सुखों में से एक होता है। घर की हैप्पीनेस कई बार प्रेम से अधिक होती है।

इसी अरसे में अपनी महिला सहकर्मियों से दुव्र्यवहार के कारण अद्भुत को नौकरी से निकाल दिया गया था। बैंक के सीनियर प्रबंधन और ह्यूमन रिसोर्स विभाग को उसके विरुद्ध शिकायतें मिली थीं कि उसका अ़फेयर ऑफ़िस में काम करने वाली सपोर्ट को-ऑर्डिनेटर से है और वे लोग ऑफ़िस में काम कम और अनैतिक हरकतें ज़्यादा करते हैं। एक बार वह बैंक में ही अन्य विभाग के सीनियर मैनेजर द्वारा को-ऑर्डिनेटर को किस करता हुआ पकड़ा गया। इस घटना के तुरंत बाद कम्पनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया। इसी दौरान राजस्थान के सात में से दो ब्रांच सेल्स मैनेजर समीक्षा के दबाव के कारण आईसीआईसीआई बैंक छोड़कर अन्य कम्पनियों में चले गये।

इस दौरान श्रीति काम के बोझ के कारण अपने मिशन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पायी। श्रीति की मम्मी ने कुछ रिश्ते भी श्रीति को बताये पर बात आगे नहीं बढ़ पायी।

इस दौरान श्रीति ने जयपुर में रीजनल मीटिंग अटैण्ड की जिसमें वह अपनी मम्मी के साथ गयी। इसके अलावा इस अवधि में राग दो बार अजमेर आया और उन दोनों ने कुछ समय होटल में साथ बिताया। दिन-प्रतिदिन राग उसके लिए और गम्भीर होता जा रहा था। जब भी श्रीति अपनी शादी की बात करती, राग उसे निरुत्साहित करने का प्रयास करता था।

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श्रीति और समीक्षा के मि़जाज में मित्रता नहीं हो पायी थी। समीक्षा की ऩजर में श्रीति की ब्रांच का बिजनेस उम्मीद व क्षमता से कम था। फरवरी में समीक्षा ने श्रीति को दो दिन के लीडरशिप एक्सीलेंस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए दिल्ली भेजने के लिए चुना। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में बैंक के उत्तरी क्षेत्र के हर विभाग से एक सेल्स मैनेजर को आना था। राग ने समीक्षा से श्रीति को भेजने की सि़फारिश की क्योंकि श्रीति को सेल्स टीम सँभालने में दिक़्क़त हो रही थी। श्रीति मम्मी के साथ दिल्ली गयी। उनके ठहरने का इंत़जाम कम्पनी के गेस्ट हाउस में किया गया।

दिल्ली में ट्रेनिंग के दौरान श्रीति की मुला़कात पंजाब की एक ब्रांच के सेल्स मैनेजर दिपेन ढिल्लन उर्फ़ डीडी से हुई। ट्रेनिंग के दौरान सारे मैनेजरों को लीडरशिप गेम्स के लिए चार-चार के ग्रुप में बाँट दिया गया था। श्रीति और डीडी एक ही ग्रुप में थे। डीडी लम्बे क़द का पंजाबी हैंडसम लड़का था। श्रीति को डीडी से बातचीत करने में कुछ समस्या थी क्योंकि डीडी पंजाबी लहजे में तेज़ गति में बातचीत करता था। उनके ग्रुप ने एक खेल में जीत भी हासिल की। खेल के दौरान दोनों की आपसी समझ अच्छी रही। डीडी का दिल श्रीति पर आ गया था और श्रीति को भी उसका मज़ाक़िया अंदा़ज भा गया। दोनों एक ही दिन में अच्छे दोस्त बन गये।

उम्र के इस स्टेशन पर श्रीति किसी भी टाइमपास अफेयर या शॉर्ट टर्म रिलेशनशिप में बँधना नहीं चाहती थी। उसे ठहराव वाले ताल्लु़क की तलाश थी। बातों के दरमियान श्रीति ने डीडी को बताया कि उसे मिस्टर राइट की तलाश है। डीडी ने भी बताया कि जो तेरा हाल है वो मेरा हाल है। दोनों के दरमियान दिल की लगी जैसा कुछ नहीं था पर दोनों एक-दूसरे को भाने लगे। श्रीति को उसकी बातचीत और बोलचाल के लहजे को समझने में कुछ दिक़्क़त थी पर उसने सोचा कि अगर बात आगे बढ़़ती है तो समय के साथ सब ठीक हो जाएगा।   

   ट्रेनिंग से लौटने के बाद श्रीति और डीडी के बीच हर दिन बातचीत ज़रूर होती थी। श्रीति ने राग को डीडी के बारे में कुछ नहीं बताया। श्रीति असमंजस में थी कि राग को बताए या न बताए। राग को न बताने वाले तर्क ज़्यादा म़ज्बूत थे। पहले जब भी श्रीति ने आये हुए शादी के प्रस्तावों की बात राग से की थी तो राग ने कभी भी नकारात्मक उत्तर नहीं दिया था पर अप्रत्यक्ष रूप से रिश्ते की ख़ामियों को बढ़ाकर उजागर करने की भरसक कोशिश करता था। श्रीति ने राग की ऐसी भावनाओं को महसूस किया पर उसने राग से इसका इ़ज्हार नहीं किया। श्रीति इतना तो अच्छी तरह जान गयी थी कि राग नहीं चाहता कि श्रीति उससे दूर हो।

उन्हीं दिनों समीक्षा ने राग को बिजनेस विजिट के लिए अजमेर भेजा। समीक्षा ने राग को पता लगाने को कहा कि अजमेर में नया लोन बिजनेस कम क्यों हो रहा है। एक तरफ राग, समीक्षा की कार्यशैली से परेशान था और दूसरी तरफ श्रीति से बढ़ती दूरी भी उसकी बढ़ती परेशानी का सबब थी। श्रीति के अनुभव से राग यह अच्छी तरह से जान गया था कि जब भी श्रीति की ज़िन्दगी में कोई नया व्यक्ति आता है तो वह उसको ऩजरअंदा़ज करने लगती है। वह उसे तब ही कॉल करती थी जब वह किसी परेशानी में होती थी या उसे राग की सलाह की ज़रूरत होती थी। राग ने उसके इस व्यवहार को स्वीकार कर लिया क्योंकि वह दोनों की मजबूरियों व मानव स्वभाव से वाक़िफ़ था। राग चाहकर भी श्रीति से शादी नहीं कर सकता था और श्रीति का शादी के सपने देखना स्वाभाविक था।

श्रीति ने नहीं बताया फिर भी राग को पता चल गया था कि श्रीति की ज़िन्दगी में कोई और आ गया है। श्रीति के ऑा़फिस में सपोर्ट को-ऑर्डिनेटर थी आध्या आहूजा। आध्या ही राग को ख़बरें पहुँचाने वाली ख़बरी थी। वह डिग्री और अनुभव में श्रीति से बढ़कर थी पर अँग्रे़जी बोलने और चेहरे-मोहरे में श्रीति, आध्या से आगे थी। मित्र ने श्रीति के बैंक ज्वाइन करने से पहले ही आध्या को राग की सि़फारिश पर नौकरी पर रख दिया था। किसी परिचित ने राग को आध्या की नौकरी लगाने के लिए सि़फारिश की थी।

राग और आध्या की जान-पहचान को कोई नहीं जानता था। राग के मददगारी व्यवहार के कारण आध्या, राग को आदर के साथ पसंद करती थी। राग अक्सर आध्या को बेहतर काम के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता था। राग ने आध्या को कई बेहतर नौकरी के विकल्प भी दिये थे पर आध्या परिवार के कारण अजमेर से बाहर नहीं जा सकती थी। राग व आध्या ने ऑफ़िस में कभी भी व्यक्तिगत बातचीत नहीं की। राग ने आध्या को हिदायत दी कि वह किसी से भी उसके बारे में कोई भी बात न करे। कुछ हद तक आध्या को श्रीति और राग के रिश्ते के बारे में अंदा़जा भी था। आध्या ने ही श्रीति और अक्षर को ब्रांच जाते देखकर राग को बता दिया था। आध्या ने ही राग को बताया था कि आजकल श्रीति किसी से काफी देर रो़ज बातें करती है।

बिजनेस विजिट के लिए राग अजमेर आ़िफस पहुँचकर जब श्रीति के सामने बैठा था तो श्रीति के मोबाइल पर किसी की कॉल आयी। श्रीति ने कॉल काट दिया। बीस मिनट में चार बार कॉल आये। राग ने उससे कहा कि वह फोन उठा सकती है पर श्रीति ने कहा कि कोई विशेष कॉल नहीं है। राग की समझ ने अंदा़जा लगाया कि किसका कॉल हो सकता है पर उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं देने का निर्णय किया। जब पाँचवीं बार कॉल आयी तो श्रीति अपने वर्कस्टेशन से उठकर कॉन्प्रेंâस रूम में जाकर बात करने लगी। शायद कोई व्यक्तिगत बातचीत थी।

राग ने बदलाव की हवा महसूस की। जब वह वापस आयी तो राग ने उससे लंच पर बाहर चलने के लिए कहा। श्रीति ने टालने की कोशिश की पर राग ने कुछ ज़रूरी बात कहकर उसे चलने के लिए रा़जी कर लिया।

राग कार को किसी रेस्टोरेंट ले जाने के बजाय अजमेर से बाहर पहाड़ियों और हरियाली से घिरी पुष्कर घाटी की तऱफ ले गया। उसने रास्ते में कार रोकी और श्रीति से पूछा,

‘‘क्यों फिर से कुछ छुपा रही हो? मुझे तुम्हारे प्रोमिस पर विश्वास है कि तुम मुझसे झूठ नहीं बोलोगी और डिप्लोमेटिकली बात नहीं करोगी। ऐसा क्या है जो मुझे तुमसे इस तरह पूछना पड़ रहा है; अब सस्पेंस सहन नहीं हो रहा है क्लाइमेक्स दिखा दो इस बात का।’’ राग ने बिना भूमिका बाँधे बात कही।

‘‘छुपाने लाय़क कुछ भी नहीं है राग; दिल्ली में लीडरशिप ट्रेनिंग में लुधियाना के सेल्स मैनेजर डीडी यानि दिपेन ढिल्लन से जान-पहचान हुई और दो दिन में हमारी अच्छी बनने लगी, अब वह मुझे चाहने लगा है और शादी करना चाहता है। पर हम दोनों की लेंग्वेज, कास्ट, फ़ाइनेंशियल स्टेटस एकदम अलग है। हम दोनों के परिवार इस रिश्ते के लिए रा़जी भी नहीं हैं। परिवार की ऱजामंदी नहीं होने से मैंने उसे मना कर दिया पर वह रो़ज मुझे घर वालों को बिना बताये कोर्ट मैरिज करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है। मुझे पता है कि मैं उससे शादी नहीं कर सकती पर मैं उसे सीधे मना नहीं कर पा रही हूँ। वो भी तुम्हारी तरह बहुत प्यारा है और मेरा बहुत ख़याल रखता है जैसे तुम रखते हो, अब यह बात कैसे बताती तुमको, मै तुम्हारे दिल को दर्द नहीं देना चाहती।’’

‘‘तुम्हारे दर्द न देने की चाहत ने ही दर्द दिया है।’’

‘‘राग मेरा रोम रोम जानता है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा मेरा ख़याल तुम ही रखते हो, मेरी हर साँस तुम्हारे प्रेम की गवाह है, पर प्लीज अंडरस्टेंड, एक दिन मेरी शादी किसी और से हो जाएगी और मेरे लिए यह पॉसिबल नहीं होगा कि मैं तुमसे हर बात कर सकूँ। इन ख़यालों से मुझे बड़ी बेचैनी होती है और दिल पर तेज़ आरी-सी चलती है, पर हमें सच का सामना तो करना ही पड़ेगा न, मैंने देखा है जब भी मैं किसी लड़के के बारे में तुमसे बात करती हूँ तो तुमको बड़ी दिक़्क़त होती है। तुम्हारी संगत में थोड़ी-बहुत फ़ेस रीडिंग सीख गयी हूँ। मैं तुमको तकलीफ देना नहीं चाहती, रही बात डीडी की तो मैं उसे मैनेज कर सकती हूँ। एक दिन वह ख़ुद परेशान होकर कॉल करना बंद कर देगा, फिर मुझे भी ऐसी चुनौतियों का सामना करना सीखना पड़ेगा, कब तक मैं तुमको छोटी-छोटी बातों के लिए परेशान करती रहूँगी... विश्वास करो मैं भी तुमको बहुत चाहती हूँ, पर मैं तुम्हारे दर्द की वजह बनना नहीं चाहती।’’ श्रीति की आवा़ज में दर्द और गम्भीरता थी।

‘‘अब चाहे बताओ या न बताओ दर्द तो हमने अपनी क़िस्मत में लिख ही दिया है, अब यह दर्द तो जिस्म के राख बनकर ख़ाक में मिलने तक रहेगा।’'

‘‘प्लीज राग! डोन्ट बी चाइल्ड, थोड़ा मैनेज करना सीखो; मैं शादी का ख़याल छोड़ सकती हूँ पर मम्मी को दु:खी नहीं देख सकती, मम्मी ने मेरे लगन के लिए बहुत से सपने बुन रखे हैं।’’

‘‘अगर तुम्हारे लिए शादी ही सब कुछ है तो मैं डाइवोर्स लेकर तुमसे शादी करने को तैयार हूँ, मैं तुमको खोना नहीं चाहता, मुझे तुम्हारी लत लग गयी है।’’ बोलते समय राग की आवा़ज भर गयी।

कुछ पल के लिए दोनों और माहौल नि:शब्द था। हरी-भरी वादियों में चलती हवा रुक-सी गयी। पंछियों की चहचहाहट और आते-जाते वाहनों की आवाज भी बन्द हो गयी थी उन चन्द पलों में। ख़ामोशी पर आवा़ज का वार करते हुए श्रीति ने कहा,

‘‘बट आई एम नॉट रेडी, मैं अपने सुख के लिए किसी का घर नहीं तोड़ सकती, मुझे अपनी बेहतर ज़िन्दगी के लिए तुम्हारी पत्नी और बच्चे की हाय नहीं लेनी, प्लीज दोबारा ऐसा मत बोलना वरना मैं तुमसे बात करना बंद कर दूँगी।’’

‘‘तुम्हारी प्रोब्लम क्या है यार! तुम मुझसे प्यार तो कर सकती हो पर शादी नहीं और ऐसे लड़के से शादी कर लोगी जिसके बारे में पक्का नहीं कि वह तुमसे प्यार करता भी है या नहीं। समझने की कोशिश करो बिना प्यार के शादी में ख़ुशी नहीं होती; हमारी नब्बे प्रतिशत ख़ुशियॉं हमारे शादी के फैसले पर निर्भर करती हैं। मैंने भी परिवार के दबाव में शादी की और आज तक भुगत रहा हूँ; किसको परवाह है कि मैं खुश हूंँ या नहीं।’’ राग की आवा़ज में रुलाई और नारा़जगी का मिश्रण था।

‘‘मैं तुम्हारे ज़ज्बात की क़द्र करती हूँ और तुम्हारी इ़ज़्जत भी करती हूँ। मैं जानती हूँ तुम जैसा प्यार करने वाला इस जनम में तो मिलेगा नहीं। सि़र्फ़ मैं ही नहीं हूँ जो तुम्हारी पत्नी और बच्चे का सोचती है। मेरी मम्मी मर जाएँगी पर इस रिश्ते के लिए कभी रा़जी नहीं होंगी। एक बार मैंने यूँ ही मम्मी से तला़कशुदा आदमी से शादी के बारे मे पूछ लिया था तो मम्मी ने सा़फ कह दिया था कि राग के बारे में तो सोचना भी मत।’’

‘‘इसका मतलब मम्मी को हमारे बारे में अंदा़जा है, अगर तुम मम्मी को हमारे रिश्ते और समझ की गहराई के बारे में बताओगी तो वो तुम्हारी ख़ुशी के लिए अपना मन बदल लेंगी।’’

‘‘एक मम्मी ही तो हैं जिनको मैं मेरी पहली साँस से जानती हूँ, वो अपने विचार नहीं बदलेंगी। अगर मेरी ख़ुशी के लिए वह रा़जी हो भी गयी तो अपनी म़र्जी से नहीं होंगी। मैं मेरे परिवार वालों और रिश्तेदारों को जानती हूँ, वे मम्मी की ज़िन्दगी नर्क बना देंगे। पापा के बाद मेरी लाइ़फ के बेस्ट मैन तुम्हीं हो जिसे मैं खोना नहीं चाहती पर मम्मी सबसे पहले हैं, उन्हे एक सेंटीमीटर भी दर्द नहीं दे सकती... प्लीज मुझे इस मुद्दे पर उलझाओ मत।’’ श्रीति ने निवेदन के लिए हाथ जोड़ लिये।

‘‘इस तरह मेरे दिल का धड़कते रहना बहुत मुश्किल है; अगर प्यार नापने का कोई पैमाना होता तो दिखा देता कि मैं तुम्हें कितना चाहता हूँ, तुम्हारे सिवा कुछ सोच भी नहीं पाता हूँ... हर घड़ी, हर पल, मेरे जिस्म, मेरी रूह में सि़र्फ़ तुम हो, हर धड़कन के साथ तुम्हारा ख़्याल है। मैं हमेशा सोचता हूँ कि तुमको ख़ुश कैसे करू। तुम्हारे बिना जी पाना नामुमकिन लग रहा है।’’ राग की आँखों से आँसुओं की धारा लुढ़कने लगी।

राग को देखकर श्रीति की आँखों में भी आँसू छलक पड़े। पहली बार उसके लिए कोई रो रहा था। श्रीति ने राग की आँखों पर लब लगाकर आँसू पिये और राग को गले लगा लिया। कुछ पल की चुप्पी के बाद श्रीति ने कहा,

‘‘मैं भी तुमसे बेइन्तहा प्यार करती हूँ राग, पर प्लीज मेरे इस स़फर में मेरे साथ चलो, तुम्हारे साथ के बिना यह मंज़िल पाना बहुत मुश्किल है; तुम्हारे बिना मैं भी किसी दिन की कल्पना नहीं कर सकती, प्लीज अंडरस्टेण्ड, सि़र्फ़ पाना ही तो प्यार नहीं है, त्याग भी तो प्यार का ही रूप है। हमारा प्यार महान है, हम दोनों को एक-दूसरे की ख़ुशी के लिए त्याग करना ही पड़ेगा। मैं किसी भी तरह तुम्हारे बिना जी लूँगी पर मैं तुम्हारे मासूम बच्चे की ख़ुशियाँ नहीं छीन सकती। पिता के बिना ज़िन्दगी का दर्द मैं जानती हूँ। तुमसे रिक्वेस्ट है कि थोड़ा स्ट्रोन्ग बनो, यह मत सोचो कि तुम मेरे बिना नहीं जी सकते। मैं कहीं नहीं जा रही, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी। क्या हुआ जो हम मिल न सकें या बात न कर सकें, अब हमारा इश्क़ जिस्मानी नहीं रूहानी हो गया है।’’

‘‘पता नहीं कैसे जियेंगे तेरे बिन।’’

‘‘हमारा रिश्ता रेल की पटरी-सा है, हम मिल नहीं सकते, पर ज़िन्दगी के स़फर में साथ चल सकते हैं; एक प्रोमिस है तुमसे, तुम मेरे दिल में आ़खरी धड़कन तक रहोगे, आा़fखरी साँस तक मैं तुमको महसूस करूँगी।’’

‘‘तुम्हारी ख़ुशी ही मेरी ख़ुशी है, जो तुम्हें सही लगे मैं वही करूँगा। मेरे प्यार की खुशी के लिए मेरा प्यार ़कुर्बान, चलो इस इश्क़ को अधूरा ही रखते हैं, मुकम्मल हुआ तो भुला दिया जाएगा।’’ यह कहकर राग ने श्रीति को गले लगा दिया।

उन्होंने एक-दूसरे को किस किया और वापस ऑफ़िस चले गये। उसके बाद दोनों ने ज़्यादा बात नहीं की। शाम को राग भारी मन के साथ जयपुर लौट गया।

अगले दो दिन उन्होंने एक-दूसरे से कोई बात नहीं की, सिर्फ़ कामकाजी सामान्य मैसेज एक-दूसरे को भेजे। तीन दिन बाद श्रीति ने राग को कॉल करके बताया कि उसने डीडी को सा़फ मना कर दिया है क्योंकि उसे उनका भविष्य ऩजर नहीं आ रहा है, अब वो कॉल नहीं करता है। राग ने कुछ ख़ास प्रतिक्रिया नहीं दिखायी।