न्यू बॉस एंड रिसेशन

साल 2008 - अजमेर

एक ओर श्रीति की निजी ज़िन्दगी में चाहे गये बेहतर बदलाव आ रहे थे और वहीं दूसरी ओर पेशेवर ज़िन्दगी में चुनौतियों का ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ने लगा। ब्रांच मैनेजर प्रयोग यह कम्पनी छोड़ दूसरी कम्पनी में चला गया और उसकी जगह सावन लालवानी ने पद सँभाला। राग से बात करने पर श्रीति को पता चला कि फाइनेंस सेक्टर में होने के कारण वह सावन को काफी सालों से जानता है। चार साल पहले वे एक ही कम्पनी में थे पर सावन ने वह कम्पनी जल्दी छोड़ दी थी। राग ने श्रीति को सतर्क किया कि सावन सिर्फ़ अपने मतलब से मतलब रखने वाला कमीना व लालची इंसान है, उसे बस अपने काम से मतलब है, चाहे सामने वाले की कोई भी पर्सनल प्रोब्लम हो। अपने व्यक्तिगत फ़ायदे के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। राग ने श्रीति को सलाह दी कि सावन से बहस और उसका विरोध नहीं करे क्योंकि वह काफी अहंकारी है और अपने विरोधियों को काफी परेशान करता है। श्रीति को भी एक-दो दिन में यह एहसास भी हो गया कि राग सही था और अब सावन से बचकर रहने में ही भलाई है।

ब्रांच मैनेजर का पद सँभालने के तीन दिन बाद सावन ने श्रीति को केबिन में बुलाया और सा़फ-सा़फ कह दिया कि उसे सिर्फ़ अपने ब्रांच के अच्छे बिजनेस से ही मतलब है और किसी की निजी परेशानियों की परवाह नहीं है, वह चाहता है कि कोई भी उसके ब्रांच के बिजनेस में रुकावट खड़ी न करे। सावन ने कहा कि तुम अपने रास्ते चलो मुझे अपने रास्ते चलने दो, मेरे रास्ते में जो टाँग अड़ाता है मैं उसकी टाँगें तोड़ देता हूँ। शुरू में श्रीति को लगा कि नया ब्रांच मैनेजर होने के नाते वह दिखावा कर रहा है पर बाद में उसे समझ आ गया कि उसके साथ काम करना बहुत जटिल होने वाला है।

साल 2008 के शुरूआती महीनों में सभी समाचार-पत्रों, टी.वी. न्यूज चैनलों पर अमेरिका के सबप्राइम लोन की समस्या और वैश्विक आर्थिक मंदी की ख़बरें छायी हुई थीं। आर्थिक दृष्टि से कम़जोर वर्ग को अधिक ब्याज दर पर दिया जाने वाला लोन सबप्राइम लोन था जो कि साल 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी का मुख्य कारण था।

श्रीति की कम्पनी भी निम्न और मध्यमवर्गीय लोगों को अधिक ब्याज दर पर क़र्ज देती थी। समय पर क़र्ज न चुकाने वाले ग्राहकों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। बैंकों व फ़ाइनेंस कम्पनियों को क़र्ज वसूली में काफी समस्याएँ आ रही थीं। उसी दौरान क़र्ज वसूली के कलेक्शन एजेण्टों के दबाव के कारण एक अग्रणी बैंक के सबप्राइम लोन ग्राहक ने मुम्बई में आत्महत्या कर ली। टीवी और अ़खबारों ने इस खबर को नमक-नीबू-मिर्च लगाकर खूब प्रचारित किया। मीडिया और लोगों के काफी दबाव के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने इस प्रकार के लोन और उनकी वसूली के लिए नये नियम और दिशा-निर्देश जारी कर दिये जिसके कारण नया ़व़âर्ज देना और वसूली करना और भी मुश्किल हो गया था।

कुछ माह पहले तक ऐसी कई फाइनेंस कम्पनियाँ और बैंक अधिक ब्याज के लालच में गणनात्मक जोखिम लेकर अधिक मात्रा में क़र्ज बाँट रही थीं, बिना यह देखे कि ग्राहक की चुकाने की क्षमता और नीयत है भी कि नहीं। इस तरह के जोखिम का परिणाम कम्पनियों के लिए नकारात्मक रहा। क़र्ज़ न चुकाने वाले डिफाल्टर ग्राहकों के बढ़ने के कारण और लगातार नु़कसान होने के बाद कुछ फ़ाइनेंस कम्पनियों और बैंकों ने इस तरह के पर्सनल व सबप्राइम लोन देना बंद कर इन विभागों को भी बंद कर दिया। कुछ बैंकों और फाइनेंस कम्पनियों ने लोन देने की प्रक्रिया को बदलकर सख्त कर दिया था।

श्रीति और राग इसी तरह की फाइनेंस कम्पनियों में कार्यरत थे। अभ्युदय भी अमेरिकन बैंक के लोन विभाग के कॉलसेंटर में काम करता था। श्रीति की कम्पनी ने भी लोन देने की प्रक्रिया और पॉलिसी में बदलाव किये। नयी प्रक्रिया व बदलाव के बाद श्रीति को अब सावन की जगह नये एरिया क्रेडिट मैनेजर प्राकृतिक पाण्डेय को रिपोर्ट करना था। श्रीति का नया बॉस काफी नम्र स्वभाव का मददगारी था। श्रीति इस बदलाव से ख़ुश थी क्योंकि अब उसे सावन को रिपोर्ट नहीं करना होता था। श्रीति और सावन दोनों अजमेर ब्रांच में ही थे जबकि प्राकृतिक जयपुर रीजनल ऑफिस में बैठता था। श्रीति को प्रतिदिन की रिपोर्टिंग प्राकृतिक को भेजनी होती थी।

नये नियम और स़ख्त पॉलिसी लागू होने के बाद नया लोन बिजनेस कम हो गया था और सावन के ऊपर बॉस अरविंदर की ओर से बिजनेस बढ़ाने का ज़बरदस्त दबाव था। सावन के लिए अपना कैरियर और वृद्धि सबसे ज़्यादा मायने रखती थी। सावन अपने अंतर्गत कार्यरत सेल्स ऑफ़िसरों पर अपना दबाव ट्रांस्फर करता था। प्राकृतिक के आदेश-अनुसार लोन की क्वालिटी बढ़ाने के लिए श्रीति बहुत स़ख्ती से लोन पास कर रही थी जिससे दिन-ब-दिन लोन बिजनेस नीचे लुढ़क रहा था।

गिरते बिजनेस से सावन दिन-ब-दिन परेशान और उग्र होने लगा क्योंकि उसके प्रदर्शन और भविष्य पर प्रश्न-चिह्न लग रहा था। सावन ने श्रीति को बिजनेस बढ़ाने के लिए सहयोग करनें के लिए साम-दाम की कोशिश की पर श्रीति ने कह दिया कि वह कम्पनी की पॉलिसी और अपने सीनियर के निर्देश अनुसार ही काम करेगी।

एक बिजनेस मीटिंग के दौरान सावन ने अरविंदर को बताया कि बिजनेस में गिरावट की मुख्य वजह श्रीति ही है। अरविंदर ने सावन को कहा कि वह श्रीति के साथ जो चाहे कर सकता है, अरविंदर उसके पीछे खड़ा रहकर सहयोग करेगा। अरविंदर को सावन के कन्धे पर बन्दू़क रखकर चलाने का मौ़का मिल गया था। उसने सावन को इस मामले को अपनी तरह सुलझाने की पूरी छूट दे दी।

अब सावन ने श्रीति की छोटी-छोटी ग़लतियों पर तिल का ताड़ करना शुरू कर दिया। इसी दौरान सावन की मुला़कात आईसीआईसीआई में पूर्वक पुरोहित और अक्षर से हुई। उन्होंने श्रीति के लिए मन में भरा ज़हर उगला। क्रेडिट मैनेजर होने के कारण श्रीति को कई बार लोन की ख़राब फ़ाइलों को रिजेक्ट करना पड़ता था जिससे कई लोन सेल्स ऑा़फिसरों को परेशानी होती थी। अनजाने अनचाहे श्रीति ने कई विरोधी पाल लिये थे। कम्पनी के दो जूनियर लोन ऑफ़िसर ने सावन को श्रीति के बारे में फैली अ़फवाहों के बारे में बताया। सावन को यह भी पता चला कि श्रीति कई अलग-अलग लड़कों के साथ अकेले में अलग-अलग होटलों में देखी गयी थी। सावन को उड़ते-उड़ते यह ख़बर भी मिली कि कभी श्रीति और अरविंदर का भी अ़फेयर रहा था। श्रीति ने अतीत में अरविंदर, राग, अक्षर इत्यादि से मिलने के लिए कभी भी सावधानी नहीं बरती थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि छोटे से शहर में ये बातें राई का पहाड़ बनने के लिए काफी होती हैं। छोटे शहर में श्रीति जैसी दुर्लभ कुँआरी, सुन्दर और कामकाजी मादा पर सैकड़ों नरों की ललचायी ऩजरें रहती हैं।

सावन को हथियार मिल गये। सावन ने इस जानकारी का फ़ायदा उठाया। एक बार अप्रत्यक्ष रूप से सावन ने श्रीति के अतीत और चरित्र पर टिप्पणी की। उसने श्रीति को समझाते हुए कहा था ‘‘या तो काम करो मेरे अनुसार या रहो फिर बुरे दिनों के लिए तैयार।’’

श्रीति ने इस बारे में राग से बात की तो राग ने उसे सि़र्फ़ काम पर ही ध्यान देने और अपना सर्वश्रेष्ठ देने को कहा।    श्रीति अपनी नौकरी खोने के भय से आतंकित थी। उसे भान था कि इस नौकरी की वजह से ही उसे अभ्युदय जैसा मंगेतर मिला है और अगर वो नौकरी खोती है तो वह उसे भी खो सकती है।