विमल सीरीज़ - 36
सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ मिस्ट्री राइटर माना गया है। अब तक उनके लगभग तीन सौ उपन्यास प्रकाशि‍त हो चुके हैं। सन 1959 में उनकी पहली रहस्यकथा ‘सत्तावन साल पुराना आदमी’ मनोहर कहानियाँ में प्रकाशि‍त हुई थी, तदोपरान्त उनकी कई कहानियाँ विभ‍िन्न पत्रिकाओं में प्रकाश‍ित हुईं। सन 1963 में उनका पहला जासूसी उपन्यास पुराने गुनाह नये गुनहगार प्रकाश‍ित हुआ। उसके बाद से अब तक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पैंसठ लाख की डकैती , मीना मर्डर केस , हारजीत , कागज़ की नाव, कोलाबा कांस्पीरेसी उनके बहुत प्रसिद्ध उपन्यास हैं और ‘विमल सीरीज़ ’ सर्वाधि‍क लोकप्रि‍य सीरीज़ है जिसमें उन्होंने 42 उपन्यास लिखे हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने जेम्स हेडली चेज़ और मारियो पूज़ो के उपन्यासों का हिन्दी में अनुवाद किया और साथ-साथ इण्डि‍यन टेलिफोन इण्डस्ट्रीज, नई दिल्ली की फुल टाइम सरकारी नौकरी भी की।
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