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आवरण मुखपृष्ठ अंतर्वस्तु लेखक के बारे में एक ही लेखक द्वारा पुस्तक समर्पण वंशावली कालक्रम प्राक्कथन अध्याय–एक दुर्योधन की ईर्ष्या 'कौन फौलादी पुरुष होगा जो अपने शत्रुओं के वैभव और स्वयं के पराभव को देख सकेगा?' अध्याय–दो द्रौपदी का साहस 'तुमने पहले किसे हारा था, स्वयं को या मुझे?' अध्याय–तीन युधिष्ठिर का कर्तव्य 'मैं करता हूं क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है' अध्याय–चार अर्जुन की हताशा 'युद्ध में कोई विजेता नहीं होता' अध्याय–पांच भीष्म की निःस्वार्थता 'कर्म पर दृढ़ रहें, इसके फल पर नहीं' अध्याय–छह कर्ण की अपनी स्थिति को लेकर आकुलता 'कोई हिरणी शेर को कैसे जन्म दे सकती है?' अध्याय–सात कृष्ण का छल 'ऐसा ही होता है!' अध्याय–आठ अश्वत्थामा का प्रतिशोध 'अब मुझे यह समय का फेर ही लगता है' अध्याय–नौ युधिष्ठिर का पश्चाताप 'मुझे तो यह विजय, पराजय अधिक लगती है' अध्याय–दस महाभारत का धर्म 'महाराज, आप समस्त प्राणियों के दुख में दुखी होते हैं।' निष्कर्ष अच्छाई की कठिनाई धर्म कथा एक शब्द की पेंगुइन को फॉलो करें सर्वाधिकार
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Chief Librarian: Las Zenow <zenow@riseup.net>
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